उत्तराखंड में हर्बल और एरोमा टूरिज्म प्रोजेक्ट को मिलेगी नई रफ्तार, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने दिए अहम निर्देश; हरिद्वार-ऊधमसिंह नगर में भी जड़ी-बूटी उत्पादन का होगा विस्तार

देहरादून। उत्तराखंड में हर्बल और एरोमा टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने कमर कस ली है। इसी कड़ी में मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में शुक्रवार को सचिवालय में राज्य स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी (SLMC) की अहम बैठक आयोजित की गई। बैठक में गैर प्रकाष्ठ वन उपज के विकास तथा हर्बल एवं एरोमा टूरिज्म प्रोजेक्ट की प्रगति की समीक्षा की गई और आगामी कार्ययोजना पर विस्तृत चर्चा की गई।

मुख्य सचिव ने बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि प्रदेश में जड़ी-बूटी उत्पादन न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा बल्कि पहाड़ों में रह रहे लोगों के लिए आजीविका के नए अवसर भी उत्पन्न करेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना को गंभीरता और प्राथमिकता के साथ धरातल पर उतारने की आवश्यकता है।

हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर में ग्राम पंचायतों के माध्यम से होगा हर्बल उत्पादन

मुख्य सचिव श्री बर्द्धन ने बताया कि भले ही मैदानी जिलों – हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर – में वन पंचायतों का अस्तित्व नहीं है, परंतु इन जिलों में जड़ी-बूटी उत्पादन की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि इन जनपदों में ग्राम पंचायतों के माध्यम से हर्बल प्रोडक्शन की योजना शुरू की जाए, ताकि स्थानीय किसान और ग्रामीण इससे लाभान्वित हो सकें।

GIS मैपिंग और डाटा डिजिटलीकरण पर विशेष जोर

मुख्य सचिव ने सभी संबंधित विभागों को निर्देशित किया कि प्रदेश में हर्बल उत्पादन से संबंधित सभी प्रकार के आंकड़ों की GIS मैपिंग कराई जाए तथा समस्त आंकड़ों का डिजिटलीकरण सुनिश्चित किया जाए। इससे न केवल सही योजना निर्माण संभव होगा बल्कि वास्तविक जरूरतों का भी बेहतर आकलन हो सकेगा।

निजी भूमि पर हर्बल उत्पादन के लिए CAMPA फंड का भी होगा इस्तेमाल

मुख्य सचिव ने कहा कि हर्बल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए Campa फंड का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने निर्देश दिए कि इस फंड के माध्यम से निजी भूमि पर हर्बल उत्पादन की संभावनाओं का पता लगाया जाए ताकि निजी क्षेत्र के लोग भी इस योजना से जुड़ सकें।

Forest Development Agency (FDA) से फॉरेस्ट व नॉन-फॉरेस्ट एक्टिविटीज की जांच के आदेश

बैठक में श्री बर्द्धन ने Forest Development Agency (FDA) से राज्य में चल रही फॉरेस्ट और नॉन-फॉरेस्ट गतिविधियों की जांच व परीक्षण कराने के निर्देश भी दिए। इससे स्पष्ट हो सकेगा कि किन क्षेत्रों में हर्बल उत्पादन की अधिक संभावनाएं हैं और कहां पर संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकता है।

एल्टीट्यूड वाइज ट्रेनिंग दस्तावेज भी होंगे तैयार

मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड का भौगोलिक परिदृश्य अलग-अलग ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बंटा है। इसीलिए हर्बल उत्पादन से जुड़े लोगों का एल्टीट्यूड वाइज प्रशिक्षण दस्तावेज तैयार किया जाए, जिससे अलग-अलग ऊंचाई पर अलग-अलग जड़ी-बूटियों के उत्पादन को बढ़ावा मिल सके।

वनोत्पादों की मार्केटिंग व वैल्यू एडिशन कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था होगी मजबूत

मुख्य सचिव ने वन विभाग को निर्देशित किया कि वर्तमान में विभाग के अधीन जो भी वन उत्पाद उपलब्ध हैं, उनकी बेहतर मार्केटिंग व वैल्यू एडिशन सुनिश्चित करें। इससे स्थानीय स्तर पर नए रोज़गार सृजित होंगे तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस दिशा में कोई भी ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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