देहरादून, 23 मार्च। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) ने चारधाम यात्रा के दौरान संभावित आपदाओं से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सहयोग से अप्रैल में मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, जिसमें विभिन्न विभागों की तैयारियों को परखा जाएगा।
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन ने आज मॉक ड्रिल को लेकर यूएसडीएमए, यूएलएमएमसी और यू-प्रिपेयर के विशेषज्ञों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी भी आपदा की स्थिति में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
चारधाम यात्रा के दौरान किसी भी आपदा की स्थिति में राहत कार्यों के लिए पर्यटन विभाग, ट्रैफिक पुलिस, स्थानीय प्रशासन, परिवहन विभाग, लोक निर्माण विभाग, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों की अहम भूमिका होगी। इन सभी के बीच समन्वय को और मजबूत किया जा रहा है ताकि आपदा के समय त्वरित कार्रवाई की जा सके।
अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन श्री आनंद स्वरूप ने सुझाव दिया कि प्रत्येक धाम के लिए अलग-अलग डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान तैयार किया जाए। इससे यात्रा के दौरान किसी भी आपदा की स्थिति में राहत कार्यों को बेहतर ढंग से अंजाम दिया जा सकेगा। इसके अलावा, चारधाम यात्रा से संबंधित सभी जनपदों की एसओपी भी तैयार करने की योजना बनाई जा रही है।
इस दौरान अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी श्री राजकुमार नेगी ने निर्देश दिए कि गत वर्षों के अनुभवों का विश्लेषण किया जाए। कितनी आपदाएं आईं, कितनी जनहानि हुई, कहां-कहां मार्ग बंद हुए और भीड़ प्रबंधन में क्या समस्याएं आईं, इन सबकी समीक्षा कर इस बार और बेहतर तैयारी की जाएगी।
चारधाम यात्रा के लिए उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग को मुख्य जनपद माना गया है, जबकि टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार और देहरादून को ट्रांजिट जिले के रूप में चिह्नित किया गया है। एनडीएमए के टेंटेटिव शेड्यूल के अनुसार 14 अप्रैल को ओरिएंटेशन कॉन्फ्रेंस, 22 अप्रैल को टेबल टॉप एक्सरसाइज और 24 अप्रैल को मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी।
मॉक ड्रिल के दौरान विभिन्न आपदाओं जैसे भूस्खलन, मार्ग अवरुद्ध होने, भीड़ बढ़ने और भगदड़ की स्थिति में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों की रिहर्सल की जाएगी। साथ ही, जनपदों को अपने संसाधनों जैसे अस्पताल, हेलीपैड, वैकल्पिक मार्गों की जीआईएस लोकेशन साझा करने के निर्देश दिए गए हैं।
यात्रा के दौरान अधिक भीड़ होने, मार्ग बंद होने या ट्रैफिक दबाव बढ़ने पर रूट डायवर्जन की क्या योजना होगी, इसका भी परीक्षण किया जाएगा। यदि यात्रियों को किसी स्थान पर रोका जाता है, तो उनके ठहरने और सुरक्षा के क्या इंतजाम होंगे, इसे भी ग्राउंड जीरो पर परखा जाएगा।

By admin

You missed