नई दिल्ली, 14 मई (पीआईबी)।राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने आज यौन अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पोक्सो) और बाल एवं किशोर श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 (सीएएल पी एंड आर) के प्रसार एवं जागरूकता के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय ऑनलाइन परामर्श का आयोजन किया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में लगभग 300 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें विभिन्न केंद्रीय एवं राज्य मंत्रालयों, राज्य पुलिस विभागों, राज्य बाल अधिकार आयोगों (एससीपीसीआर) और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे।

पोक्सो और बाल श्रम अधिनियमों के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर

एनसीपीसीआर की अध्यक्ष सुश्री तृप्ति गुरहा ने उद्घाटन भाषण में कहा कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए इन अधिनियमों का सुनियोजित प्रचार-प्रसार और प्रशिक्षण अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बाल सुरक्षा के क्षेत्र में आयोग की पहलों का उल्लेख करते हुए सभी हितधारकों से समन्वय और सहयोग की अपील की।

जमीनी अनुभव और चुनौतियों पर चर्चा

एनसीपीसीआर की सदस्य (एलआरसी) सुश्री प्रीति भारद्वाज दलाल ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि पोक्सो अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अधिकारियों की सक्रिय भूमिका, व्यक्तिगत हस्तक्षेप और स्थानीय स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि आकांक्षी जिलों में आयोजित आयोग के बेंच और शिविरों ने हाशिए पर पड़े समुदायों तक प्रभावी पहुंच बनाई है।

जेंडर-न्यूट्रल दृष्टिकोण और पुनर्वास तंत्र की आवश्यकता

आयोग की सदस्य (बाल स्वास्थ्य, देखभाल, कल्याण) डॉ. दिव्या गुप्ता ने सीएएल अधिनियम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सूचना का प्रचार और जागरूकता निर्माण इस कानून के सुचारु कार्यान्वयन में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने जेंडर-न्यूट्रल दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

बाल सुरक्षा को लेकर बहुस्तरीय प्रयासों की जरूरत

एनसीपीसीआर के सदस्य सचिव डॉ. संजीव शर्मा ने कहा कि भले ही इस क्षेत्र में सकारात्मक प्रगति हुई है, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने शिक्षा, जागरूकता और समन्वित प्रयासों की महत्ता पर जोर दिया।

परामर्श के दौरान उठाए गए प्रमुख मुद्दे:

  • फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना हेतु सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रेरित करना

  • मेडिको-लीगल रिपोर्ट (MLR) के प्रारूप का मानकीकरण

  • स्कूली पाठ्यक्रम में पोक्सो अधिनियम के प्रावधानों को शामिल करना

  • शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन समितियों के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम

  • बाल पीड़ितों को कानूनी सहायता और समय पर मुआवज़ा वितरण सुनिश्चित करना

  • बाल श्रम मामलों में अंतर-एजेंसी समन्वय, निगरानी और पुनर्वास तंत्र को सशक्त बनाना

कार्यक्रम का समापन एनसीपीसीआर के रजिस्ट्रार श्री राजेश कुमार सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। यह परामर्श न केवल कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए देशव्यापी संकल्प को भी सुदृढ़ करता है।

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