-डॉ राजीव कुरेले

हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाने वाला विश्व स्वास्थ्य दिवस हमसे यह सवाल करता है कि आखिर स्वास्थ्य का क्या मतलब है? क्या सिर्फ बीमारी न होना ही स्वास्थ्य है या फिर शारीरिक और मानसिक संतुलन भी स्वास्थ्य का हिस्सा है? जब बात गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की होती है, तो यह सवाल और भी अहम हो जाता है। खासकर उन महिलाओं के लिए, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उनके लिए तो पोषण का सही स्तर प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती होती है। और फिर यही कुपोषण अक्सर बच्चों में विकार पैदा कर देता है।

लेकिन क्या होगा अगर हम कहें कि आयुर्वेद में ऐसे कई उपाय हैं, जो आपके रसोई घर में ही छुपे हैं, और इनसे आप अपनी सेहत का ख्याल रख सकते हैं? जी हां, सही सुना आपने! जब बात सही पोषण की आती है, तो आयुर्वेद में हर मसाले और हर्बल पौधों का अपनी जगह है। अब ये जान लीजिए कि गर्भवती महिलाएं अपनी रसोई में उपलब्ध चीजों से कैसे अपने और अपने बच्चे के लिए स्वस्थ आहार तैयार कर सकती हैं।

1. हल्दी और अदरक: दिन का एक बेस्ट स्टार्ट

आयुर्वेद के अनुसार, हल्दी और अदरक को हर किसी को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए, खासकर गर्भवती महिलाओं को। हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को विषैले तत्वों से बचाते हैं। वहीं अदरक पेट की समस्याओं जैसे मिचली और अपच से राहत दिलाने में मदद करता है। सुबह एक कप हल्दी वाला दूध या अदरक की चाय आपके पूरे दिन को ऊर्जा से भर सकती है।

2. घी: यह सिर्फ स्वाद नहीं, सेहत का खजाना है

हमारी रसोई में घी होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आयुर्वेद में इसे खास महत्व दिया गया है? घी, खासकर गाय का घी, गर्भवती महिला के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह न सिर्फ शरीर को ताकत देता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है। आयुर्वेद में इसे “औषधि” माना गया है। घी में मौजूद फैटी एसिड्स गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास में मदद करते हैं।

3. तुलसी: रसोई का सुपरहीरो

तुलसी को आयुर्वेद में “औषधि की रानी” कहा जाता है। यह शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ गर्भवती महिला को मानसिक तनाव से भी छुटकारा दिलाती है। तुलसी की पत्तियाँ, नींबू और शहद के साथ एक अद्भुत मिश्रण बनाती हैं, जो न सिर्फ शरीर को ताजगी देता है, बल्कि ऊर्जा भी प्रदान करता है।

4. घी, आलू और जड़ी-बूटियाँ: समृद्ध आहार

आयुर्वेद में आलू का भी महत्वपूर्ण स्थान है। आलू और घी का मिश्रण खाने से गर्भवती महिला को आवश्यक ऊर्जा और पोषक तत्व मिलते हैं। इसके अलावा, जड़ी-बूटियाँ जैसे अश्वगंधा, गिलोय, और शहद का संयोजन भी गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है। ये न केवल शरीर को ऊर्जा देते हैं, बल्कि शरीर में होने वाली सूजन को भी कम करते हैं।

5. हर्बल गार्डन: आयुर्वेद का सुपरपावर

अब बात करते हैं आयुर्वेदिक हर्बल गार्डन की, जो उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित किया गया है। यहाँ औषधीय पौधों की ऐसी प्रजातियाँ उगाई जाती हैं, जो न केवल स्वास्थ्य लाभ देती हैं, बल्कि गर्भवती महिलाओं के लिए उपयुक्त पोषण भी प्रदान करती हैं। आप भी अपनी रसोई में इन पौधों को उगाकर उन्हें इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे तुलसी, अदरक, सोंठ, और नीम। इन पौधों से आपको बिना किसी साइड इफेक्ट के पूरी तरह से प्राकृतिक और प्रभावी उपचार मिल सकते हैं।

निष्कर्ष: रसोई से औषधालय तक का सफर

गर्भवती महिलाओं को चाहिए कि वे न केवल चिकित्सक से मार्गदर्शन लें, बल्कि अपनी रसोई से भी उपचार के लिए साधन खोजें। आयुर्वेद में प्रकृति की सारी शक्तियाँ छिपी हैं, और अगर हम उसे अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लें, तो ना केवल अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी एक स्वस्थ शुरुआत दे सकते हैं।

याद रखिए, आहार ही स्वास्थ्य की कुंजी है, और आयुर्वेद में वह सारी जानकारी छिपी है, जो हमे अपनी सेहत के ख्याल रखने के लिए चाहिए होती है। इसलिए, अगली बार जब आप अपनी रसोई में कदम रखें, तो ये न केवल भोजन के लिए, बल्कि अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य के लिए एक खजाना हो सकता है।

-डॉ राजीव कुरेले वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक एवं प्रोफ़ेसर उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हर्रावाला देहरादून

By admin