लविशा सिंह
रुद्रपुर (11 जून)।उत्तराखंड के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने मंगलवार को ऊधमसिंह नगर जनपद के रुद्रपुर विकासखंड स्थित ग्राम पंचायत शांतिपुरी में आयोजित ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ कार्यक्रम के तहत किसानों से सीधा संवाद स्थापित कर उनकी समस्याएं सुनीं और सुझाव प्राप्त किए। मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन के लिए कटिबद्ध है, लेकिन यह अभियान तभी सफल हो पाएगा जब इसमें किसानों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होगी।
मंत्री गणेश जोशी ने किसानों से आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक संख्या में इस अभियान से जुड़ें ताकि उन्हें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संचालित योजनाओं का पूरा लाभ मिल सके। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री के नेतृत्व में देशभर में यह अभियान संचालित किया जा रहा है, जिसके तहत वैज्ञानिकों और कृषि अधिकारियों की टीमें गांव-गांव जाकर किसानों को उन्नत बीजों, नई कृषि तकनीकों और मशीनों की जानकारी दे रही हैं।
किसानों को उन्नत कृषि तकनीक अपनाने का संदेश
मंत्री जोशी ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है और किसान राष्ट्र की रीढ़ हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दृष्टिकोण स्पष्ट है कि जैसे वे सैनिकों के कल्याण की चिंता करते हैं, वैसे ही किसानों के उत्थान के लिए भी निरंतर प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसानों की आय और आर्थिकी सुदृढ़ होगी तो देश भी मजबूत बनेगा।
उन्होंने जानकारी दी कि विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत देशभर में 6000 से अधिक कृषि वैज्ञानिक प्रत्यक्ष रूप से किसानों के बीच पहुंचकर उन्हें कृषि क्षेत्र के नवाचारों से अवगत करा रहे हैं। राज्य सरकार किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, मृदा परीक्षण, आधुनिक कृषि यंत्र, उर्वरक आदि में सहायता प्रदान कर रही है।
मृदा परीक्षण को बताया अति आवश्यक
कृषि मंत्री ने किसानों को सलाह दी कि वे अपने खेतों की मृदा का परीक्षण अवश्य कराएं और उसके अनुसार ही उर्वरकों का चयन करें। उन्होंने कहा कि अनावश्यक रसायनों के प्रयोग से भूमि की उर्वरता घटती है और उत्पादन प्रभावित होता है। मृदा परीक्षण से न केवल लागत घटेगी बल्कि उपज भी बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार की यह मंशा है कि योजना का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचे। इसलिए विभागीय अधिकारी गाँव-गाँव जाकर कृषकों को योजनाओं और नवाचारों से जोड़ रहे हैं। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे जागरूक बनें और नई कृषि तकनीकों को अपनाकर अपनी आय दोगुनी करने की दिशा में कदम बढ़ाएं।
कृषि वैज्ञानिकों ने दी तकनीकी जानकारियाँ
कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को मैदानी क्षेत्रों में सनई की हरी खाद की उपयोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वैज्ञानिकों ने बताया कि मई माह में सनई की बुवाई कर 45 से 60 दिन बाद खेतों में मिलाने से प्रति हेक्टेयर 80 से 100 किग्रा नाइट्रोजन की बचत की जा सकती है।
सिंचित क्षेत्रों के लिए नील हरित शैवाल जैसे जैविक उर्वरकों के प्रयोग से रासायनिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों की बचत संभव है। वैज्ञानिकों ने भी मृदा परीक्षण को आवश्यक बताया ताकि उर्वरकों का उचित मात्रा में प्रयोग किया जा सके।
जनप्रतिनिधियों ने किसानों का बढ़ाया उत्साह
कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक तिलकराज बेहड़, मेयर विकास शर्मा और पूर्व विधायक राजेश शुक्ला ने भी उपस्थित किसानों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों के हितों के प्रति संवेदनशील है और कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए निरंतर योजनाएं बना रही है।
विभागों की योजनाओं की दी गई जानकारी, पुस्तिका वितरित
रेखीय विभागों द्वारा खरीफ मौसम की उन्नत कृषि तकनीकों व विभिन्न सरकारी योजनाओं पर विस्तार से जानकारी दी गई। इस अवसर पर कृषि विभाग द्वारा एक विशेष पुस्तिका का भी वितरण किया गया, जिसमें विभागीय योजनाओं और उनके लाभों का विवरण है।
बड़ी संख्या में किसानों ने दिखाया उत्साह
इस कार्यक्रम में लगभग 300 किसान बंधु उपस्थित रहे। उन्होंने कृषि, उद्यान, पशुपालन, सहकारिता, डेरी, मत्स्य, रेशम, फल प्रसंस्करण, रीप एवं स्वयं सहायता समूहों द्वारा लगाए गए स्टॉलों पर जाकर नवीनतम जानकारी प्राप्त की। किसानों ने सरकारी योजनाओं के प्रति अपनी रुचि दिखाई और नवाचारों को अपनाने की इच्छा भी प्रकट की।
इन प्रमुख हस्तियों की रही उपस्थिति
इस अवसर पर पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान, पूर्व जिलाध्यक्ष विवेक सक्सेना, पूर्व प्रधान किशन कोरंगा, प्रीतम कोरंगा, मोहन सिंह कोरंगा, उप जिलाधिकारी कौस्तुभ मिश्र, जिला विकास अधिकारी सुशील मोहन डोभाल, मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. अभय सक्सेना, सहायक निदेशक डेरी आर.एस. चौहान सहित अनेक पूर्व सैनिक व किसान उपस्थित रहे।